तीसरी कसम शैलेन्द्र के जीवन की पहली और अंतिम फिल्म है. यह फिल्म सादगी पर आधारित है जिसमे जीवन की सच्चाइयों के बारे में बताया गया है. इस फिल्म को तत्काल बॉक्स ऑफिस पर सफलता नही मिली. यह वहफिल्म है जिसमें राजकपूर ने अपने जीवन की सर्वोत्कृष्ट भूमिका अदा की है है. इस फिल्म में हिरामन एक गाड़ीवान हैं. फिल्म की शुरुवात कुछ इस तरह होती है की हिरामन अपनी बैलगाड़ी को हांक रहा होता है और इस समय वह बहुत खुश नज़र आता है. उसकी गाडी में एक नौटंकी बाई बैठी होती है जिसे हिरामन कई कहानियां सुनाता है और लोकगीत सुनाते हुए सर्कस तक पंहुचा देता है. इस बीच वे दोनों अपनी पुरानी यादों को याद करते है. साथ ही इस फिल्म में लोककथाओं और लोकगीत से भरा अंश फिल्म के आधे से अधिक भाग में है. फिल्म में दोनों ही पत्रों नें अपना अभिनय बड़ी ही सादगी के साथ प्रस्तुत किया है. इसमें शेलेन्द्र की संवेदनशीलता पूरी शिद्दत के साथ मौजूद है. साथ ही हिरामन द्वारा तीन कसमें खायी जाती है; चोर बाजारी का सामन अपनी गाड़ी में नहीं रखेगा, किसी क़वारी लड़की से शादी नही और करेगा और तीसरी की कभी भी अपनी गाड़ी में नौटंकी बाई को नहीं बैठायेगा. अंत में हिराबाई चली जाती है और उसके मन में उपजी भावना पैदा हुई जिसके कारण वह तीसरी कसम खता है और फिल्म की समाप्ति हो जाती है. NAME: KHUSHI VERMA CLASS: X E ROLL NO: 17
आज हमारी कक्षा में दिखाई गई राजकपूर की बेहद मशहूर फिल्म मुझे बेहद पसंद आई। राजकपूर की यह फिल्म सच्ची जिंदगी पर आधारित है जिसे देखकर मन को संतुष्टी मिलती हैं।
राजकपूर ने इस फिल्म में बेहद अच्छा प्रदर्शन दिया हैं। इन्होंने इस फिल्म में तीन कसमें खाई हैं और वह ही तीन कसमें फिल्म का मसाला हैं। तीन कसमें कुछ इस प्रकार थी :- १ कभी फिर से चोरी न करने की। २ कभी फिर से शादी न करने की। ३ कभी फिर से नोटंकी में हिस्सा न लेंर की।
इस फिल्म में राजकपूर ने जैसी एक्टिंग की है वैसी आज कल के स्टारो ले बस की नहीं हैं। अंत में मैं यही कहना चाहुगा की यह फिल्म हर एक इंसान को देखनी चाहिए।
तीसरी कसम 1966 में बनीहिन्दी भाषा की फिल्म है। इसको तत्काल बॉक्स ऑफ़िस पर सफलता नहीं मिली थी पर यह हिन्दी के श्रेष्ठतम फ़िल्मों में गिनी जाती है। फ़िल्म का निर्माण प्रसिद्ध गीतकार शैलेन्द्र ने किया था जिसे हिन्दी लेखकफणीश्वर नाथ 'रेणु' की प्रसिद्ध कहानी मारे गए ग़ुलफ़ाम की पटकथा मिली। इस फ़िल्म की असफलता के बाद शैलेन्द्र काफी निराश हो गए थे और उनका अगले ही साल निधन हो गया था।
यह हिन्दी के महान कथाकार फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी 'मारे गये गुलफाम' पर आधारित है। इस फिल्म के मुख्य कलाकारों में राज कपूर और वहीदा रहमानशामिल हैं। बासु भट्टाचार्य द्वारा निर्देशित तीसरी कसम एक फिल्म गैर-परंपरागत है जो भारत की देहाती दुनिया और वहां के लोगों की सादगी को दिखाती है। यह पूरी फिल्म बिहार के अररिया जिले में फिल्मांकित की गई।
इस फिल्म का फिल्मांकन सुब्रत मित्र ने किया है। पटकथा नबेन्दु घोष की है, जबकि संवाद लिखे हैं स्वयंफणीन्द्र नाथ रेणु ने. फिल्म के गीत लिखे हैं शैलेंद्र औरहसरत जयपुरी ने, जबकि फिल्म संगीत दिया है,शंकर-जयकिशन की जोड़ी ने.
यह फ़िल्म उस समय व्यावसायिक रूप से सफ़ल नहीं रही थी, पर इसे आज भी अदाकारों के श्रेष्ठतम अभिनय तथा प्रवीण निर्देशन के लिए जाना जाता है। इस फ़िल्म के बॉक्स ऑफ़िस पर पिटने के कारण निर्माता गीतकार शैलेन्द्र का निधन हो गया था।
तीसरी किस्म एक यादगार फिल्म है। इस फिल्म ने संगीतकार के रूप में शैलेन्द्र तथा अभिनेता के रूप मे राजकपूर एवं अभिनेत्री के रूप में वहीदा रहमान को प्रतिष्ठित कर दिया। शुरूआत में इस फिल्म को बाक्स आफिस पर सफलता नहीं मिली परंतु बाद में यह फिल्म मील का पत्थर सिद्ध हुई। इसकी गणना बेमिसाल फिल्मों में की जाती है। यह फिल्म सत्य अौर सादगी पर आधारित है। इसमे राजकपूर हीरामन तथा वहीदा रहमान ने हीराबाई के रूप में एक्टिंग कर सभी को हैरान कर दिया। अभीनय की दृष्टि से तीसरी कसम उनके जीवन की सबसे हसीन फिल्म है।
तीसरी कसम फिल्म के निर्देशक शैलेंद्र थे। शैलेंद्र पेशे से एक कवि व गीतकार थे। तीसरी कसम उनकी पहली व आखरी फिल्म थी। इस फिल्म को बनाने के लिए शैलेंद्र की सारी जमा पूंजी लग गई थी। यह फिल्म परदे पर ज़्यादा नहीं चली क्योंकि यह कहा गया कि यह फिल्म सैल्यूलाइड पर लिखी कविता थी। परंतु यह फिल्म को अनेक पुरस्कार मिले जैसे:-राष्ट्रपति स्वर्णपदक मिला, सर्वश्रेष्ठ फिल्म आदि मिले थे। राजकपूर और वहीदारेहमान ने इस फिल्म में अभिनय किया है, हीरामन और हीराबाई के रूप में। यह फिल्म सच्चाई व सादगी से भरी है। यह फिल्म जीवन की वास्तविकता दर्शाती है ।इस में हीरामन एक सीद्धा व भोला किरदार दिखाया है।जो अपने जीवन में तीन कसमें लेता है:- १ चोरी का सामना कभी नहीं ले जाएगा। २ किसी भी कुारी लडकी से शादी नहिं करेगा। ३ किसी भी नौटंकी बाई को अपनी गाड़ी में नहीं बिठाएगा। यह फिल्म सादगी पूर्ण है। NAME :-ANUKRITI CLASS X-E ROLL NO.:- 7
आज हमे क्लास मे तीसरी कसम फिल्म दिखाई I कहानी.... हीरामन, जो जहां वह अपने दैनिक जीवन के अनुभवों के अनुसार तीन कसम लेता है अपनी आजीविका कमाने के लिए एक बैलगाड़ी ड्राइव अररिया में एक दूरदराज के गांव से एक देहाती ग्रामीण बारे में है। इस कहानी को सही मायने में सादगी पर आधारित है। फिल्म बासु भट्टाचार्य द्वारा निर्देशित और शैलेन्द्र द्वारा निर्मित और कहानी panishwer नाथ रेणु ने लिखा है। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं था, लेकिन यह कई पुरस्कार हासिल किया है । फिल्म 14 वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता .. बासु भट्टाचार्य यथार्थवाद की भावना और एक प्राकृतिक शैली के साथ फिल्म का निर्देशन किया । उन्होंने महसूस किया कि यह फिल्म है कि राज कपूर अपने सामान्य " साधारण आदमी " व्यवहार से बचना चाहिए के लिए महत्वपूर्ण था। जब मैंने इस फिल्म को देखा मैं खुश थी और संतुष्ट महसूस किया। फिल्म के गाने इतनी गहराई है कि मैं पूरी तरह से प्रभावित हो गई। मुझे फिल्म पसंद हैं । मैं हर किसी को सलाह देती हू यह देखने के लिए। NAME GINISHA CLASS X E ROLL NO 13
तीसरी कसम शैलेन्द्र के जीवन की पहली और अंतिम फिल्म है. यह फिल्म सादगी पर आधारित है जिसमे जीवन की सच्चाइयों के बारे में बताया गया है. इस फिल्म को तत्काल बॉक्स ऑफिस पर सफलता नही मिली. यह वहफिल्म है जिसमें राजकपूर ने अपने जीवन की सर्वोत्कृष्ट भूमिका अदा की है है. इस फिल्म में हिरामन एक गाड़ीवान हैं. फिल्म की शुरुवात कुछ इस तरह होती है की हिरामन अपनी बैलगाड़ी को हांक रहा होता है और इस समय वह बहुत खुश नज़र आता है. उसकी गाडी में एक नौटंकी बाई बैठी होती है जिसे हिरामन कई कहानियां सुनाता है और लोकगीत सुनाते हुए सर्कस तक पंहुचा देता है. इस बीच वे दोनों अपनी पुरानी यादों को याद करते है. साथ ही इस फिल्म में लोककथाओं और लोकगीत से भरा अंश फिल्म के आधे से अधिक भाग में है. फिल्म में दोनों ही पत्रों नें अपना अभिनय बड़ी ही सादगी के साथ प्रस्तुत किया है. इसमें शेलेन्द्र की संवेदनशीलता पूरी शिद्दत के साथ मौजूद है. साथ ही हिरामन द्वारा तीन कसमें खायी जाती है; चोर बाजारी का सामन अपनी गाड़ी में नहीं रखेगा, किसी क़वारी लड़की से शादी नही और करेगा और तीसरी की कभी भी अपनी गाड़ी में नौटंकी बाई को नहीं बैठायेगा. अंत में हिराबाई चली जाती है और उसके मन में उपजी भावना पैदा हुई जिसके कारण वह तीसरी कसम खता है और फिल्म की समाप्ति हो जाती है.
ReplyDeleteNAME: KHUSHI VERMA
CLASS: X E
ROLL NO: 17
आज हमारी कक्षा में दिखाई गई राजकपूर की बेहद मशहूर फिल्म मुझे बेहद पसंद आई। राजकपूर की यह फिल्म सच्ची जिंदगी पर आधारित है जिसे देखकर मन को संतुष्टी मिलती हैं।
ReplyDeleteराजकपूर ने इस फिल्म में बेहद अच्छा प्रदर्शन दिया हैं। इन्होंने इस फिल्म में तीन कसमें खाई हैं और वह ही तीन कसमें फिल्म का मसाला हैं। तीन कसमें कुछ इस प्रकार थी :-
१ कभी फिर से चोरी न करने की।
२ कभी फिर से शादी न करने की।
३ कभी फिर से नोटंकी में हिस्सा न लेंर की।
इस फिल्म में राजकपूर ने जैसी एक्टिंग की है वैसी आज कल के स्टारो ले बस की नहीं हैं। अंत में मैं यही कहना चाहुगा की यह फिल्म हर एक इंसान को देखनी चाहिए।
- हार्दिक कलरा
X-E
It's nice
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Deleteतीसरी कसम 1966 में बनीहिन्दी भाषा की फिल्म है। इसको तत्काल बॉक्स ऑफ़िस पर सफलता नहीं मिली थी पर यह हिन्दी के श्रेष्ठतम फ़िल्मों में गिनी जाती है। फ़िल्म का निर्माण प्रसिद्ध गीतकार शैलेन्द्र ने किया था जिसे हिन्दी लेखकफणीश्वर नाथ 'रेणु' की प्रसिद्ध कहानी मारे गए ग़ुलफ़ाम की पटकथा मिली। इस फ़िल्म की असफलता के बाद शैलेन्द्र काफी निराश हो गए थे और उनका अगले ही साल निधन हो गया था।
ReplyDeleteयह हिन्दी के महान कथाकार फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी 'मारे गये गुलफाम' पर आधारित है। इस फिल्म के मुख्य कलाकारों में राज कपूर और वहीदा रहमानशामिल हैं। बासु भट्टाचार्य द्वारा निर्देशित तीसरी कसम एक फिल्म गैर-परंपरागत है जो भारत की देहाती दुनिया और वहां के लोगों की सादगी को दिखाती है। यह पूरी फिल्म बिहार के अररिया जिले में फिल्मांकित की गई।
इस फिल्म का फिल्मांकन सुब्रत मित्र ने किया है। पटकथा नबेन्दु घोष की है, जबकि संवाद लिखे हैं स्वयंफणीन्द्र नाथ रेणु ने. फिल्म के गीत लिखे हैं शैलेंद्र औरहसरत जयपुरी ने, जबकि फिल्म संगीत दिया है,शंकर-जयकिशन की जोड़ी ने.
यह फ़िल्म उस समय व्यावसायिक रूप से सफ़ल नहीं रही थी, पर इसे आज भी अदाकारों के श्रेष्ठतम अभिनय तथा प्रवीण निर्देशन के लिए जाना जाता है। इस फ़िल्म के बॉक्स ऑफ़िस पर पिटने के कारण निर्माता गीतकार शैलेन्द्र का निधन हो गया था।
Aryan singh
Roll no. 9
X-E
तीसरी किस्म एक यादगार फिल्म है। इस फिल्म ने संगीतकार के रूप में शैलेन्द्र तथा अभिनेता के रूप मे राजकपूर एवं अभिनेत्री के रूप में वहीदा रहमान को प्रतिष्ठित कर दिया। शुरूआत में इस फिल्म को बाक्स आफिस पर सफलता नहीं मिली परंतु बाद में यह फिल्म मील का पत्थर सिद्ध हुई। इसकी गणना बेमिसाल फिल्मों में की जाती है। यह फिल्म सत्य अौर सादगी पर आधारित है। इसमे राजकपूर हीरामन तथा वहीदा रहमान ने हीराबाई के रूप में एक्टिंग कर सभी को हैरान कर दिया। अभीनय की दृष्टि से तीसरी कसम उनके जीवन की सबसे हसीन फिल्म है।
ReplyDeleteतीसरी कसम फिल्म के निर्देशक शैलेंद्र थे। शैलेंद्र पेशे से एक कवि व गीतकार थे। तीसरी कसम उनकी पहली व आखरी फिल्म थी। इस फिल्म को बनाने के लिए शैलेंद्र की सारी जमा पूंजी लग गई थी। यह फिल्म परदे पर ज़्यादा नहीं चली क्योंकि यह कहा गया कि यह फिल्म सैल्यूलाइड पर लिखी कविता थी। परंतु यह फिल्म को अनेक पुरस्कार मिले जैसे:-राष्ट्रपति स्वर्णपदक मिला, सर्वश्रेष्ठ फिल्म आदि मिले थे।
ReplyDeleteराजकपूर और वहीदारेहमान ने इस फिल्म में अभिनय किया है, हीरामन और हीराबाई के रूप में।
यह फिल्म सच्चाई व सादगी से भरी है। यह फिल्म जीवन की वास्तविकता दर्शाती है ।इस में हीरामन एक सीद्धा व भोला किरदार दिखाया है।जो अपने जीवन में तीन कसमें लेता है:-
१ चोरी का सामना कभी नहीं ले जाएगा।
२ किसी भी कुारी लडकी से शादी नहिं करेगा।
३ किसी भी नौटंकी बाई को अपनी गाड़ी में नहीं बिठाएगा।
यह फिल्म सादगी पूर्ण है।
NAME :-ANUKRITI
CLASS X-E
ROLL NO.:- 7
आज हमे क्लास मे तीसरी कसम फिल्म दिखाई I
ReplyDeleteकहानी.... हीरामन, जो जहां वह अपने दैनिक जीवन के अनुभवों के अनुसार तीन कसम लेता है अपनी आजीविका कमाने के लिए एक बैलगाड़ी ड्राइव अररिया में एक दूरदराज के गांव से एक देहाती ग्रामीण बारे में है। इस कहानी को सही मायने में सादगी पर आधारित है। फिल्म बासु भट्टाचार्य द्वारा निर्देशित और शैलेन्द्र द्वारा निर्मित और कहानी panishwer नाथ रेणु ने लिखा है। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं था, लेकिन यह कई पुरस्कार हासिल किया है । फिल्म 14 वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता .. बासु भट्टाचार्य यथार्थवाद की भावना और एक प्राकृतिक शैली के साथ फिल्म का निर्देशन किया । उन्होंने महसूस किया कि यह फिल्म है कि राज कपूर अपने सामान्य " साधारण आदमी " व्यवहार से बचना चाहिए के लिए महत्वपूर्ण था। जब मैंने इस फिल्म को देखा मैं खुश थी और संतुष्ट महसूस किया। फिल्म के गाने इतनी गहराई है कि मैं पूरी तरह से प्रभावित हो गई। मुझे फिल्म पसंद हैं । मैं हर किसी को सलाह देती हू यह देखने के लिए।
NAME GINISHA
CLASS X E
ROLL NO 13
ReplyDeleteIT Is a good article blog thanks for sharing.
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