पाठ – तीसरी कसम
१ – राजकपूर के व्यक्तित्व की विशेषताएं लिखिए |
२ – आपको राजकपूर एक सच्चे समीक्षक और शैलेन्द्र एक सच्चे साहित्यकार
कैसे लगे ? पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए |
३ – फिल्म तीसरी कसम सैल्यूलाईड पर लिखी कविता थी | जिसके कारण फिल्म चली नहीं |
जबकि ऐसा माना जाता है कि शैलेन्द्र के जीवन की छाप इसमें दिखाई देती है
तो क्या आपकी दृष्टि में शैलेन्द्र एक निराश और हारा हुआ व्यक्ति था ? तर्क सहित
स्पष्ट कीजिए |
४ –फिल्म तीसरी कसम को विक्रेता नहीं मिल रहे थे ? क्या विक्रेता के
अभाव में आपकी सृजनात्मकता का कोई मोल नहीं ? उपभोक्ता के रूप में टिप्पणी करते हुए अपने विचार लिखिए |
५ – हीराबाई का छींट की सस्ती
साडी में लिपटना से लेखक का क्या अभिप्राय है ?
६ – राजकपूर में हीरामन का सम्पूर्ण व्यक्तित्व समाया था कैसे ?
७ – साहित्य समाज का दर्पण होता है – फिल्म तीसरी कसम को आधार बनाकर
स्पष्ट कीजिए |
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